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भारतीय खाद्य निगम

इस राज्य के कृषि विपणन बोर्ड का धनकोष हुआ रिक्त कर्ज चुकाना हुआ चुनौतीपूर्ण

इस राज्य के कृषि विपणन बोर्ड का धनकोष हुआ रिक्त कर्ज चुकाना हुआ चुनौतीपूर्ण

आर्थिक तंगी के समय में बोर्ड द्वारा लिए गए कर्ज का बेहद संग्रह हो रहा है एवं पंजाब राज्य के ग्रामीण इलाकों की प्रगति व उन्नति बाधित हो गयी है, साथ ही विकास कार्य भी काफी प्रभावित हो रहे हैं। पंजाब के कृषि विपणन बोर्ड का धनकोष भी रिक्त हो चुका है। स्थिति यहां तक खराब हो गयी है कि अब प्रदेश बैंकों द्वारा ग्रहण किए गए कर्ज की धनराशि को वापस करने हेतु असमर्थ दिखाई दे रहा है। खबरों के अनुसार, बोर्ड धनराशि न होने से आशंका में है, क्योंकि उसको 31 दिसंबर तक वित्तीय संस्थानों एवं बैंकों को 1,000 करोड़ रुपये का जो कर्ज लिया है, उसको वापस करने हेतु किस्त की धनराशि जमा करनी है। बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, 3976 करोड़ रुपये का कर्ज भावी आय, विशेष तौर से ग्रामीण विकास निधि (RDF) को राज्य सरकार की कर्ज माफी योजना हेतु गिरवी रखकर लिया गया था। जिसको 2018 में पूर्व की कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा आरंभ किया गया था। परंतु, बीते तीन खरीद सीजन – दो खरीफ (धान) एवं एक रबी (गेहूं) की खरीद केंद्र द्वारा केंद्र की तरफ से भारतीय खाद्य निगम (FCI) पर राज्य एजेंसियों ने खाद्यान्न खरीद पर अर्जित RDF की धनराशि वापिस नहीं की गयी है।

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भुगतान केंद्र सरकार द्वारा वहन नहीं किया जायेगा

हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार, केंद्र पर राज्य का 3,050 करोड़ रुपये कर्ज शेष बचा हुआ है, जिसमें से लंबित आरडीएफ मुख्य भाग (2,872 करोड़ रुपये) है एवं बकाया मंडी शुल्क मद में शेष है। धान की खरीद (2021 और 2022) में न्यूनतम 1,100 करोड़ रुपये का आरडीएफ एवं गेहूं की खरीद (2022 में) का 650 करोड़ रुपये की धनराशि केंद्र के जरिये नहीं किया जाता है, इस वजह से राज्य सरकार हेतु काफी चुनौतीपूर्ण वित्तीय समस्या उत्पन्न हो जाती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में प्रदेश के ग्रामीण विकास बोर्ड के पदेन प्रमुख के तौर पर धनराशि का इस्तेमाल निर्धारित करता है, जिसमें विशेष तौर से राज्य के ग्रामीण इलाकों में विकास एवं कृषकों की उन्नति शम्मिलित है। यह इस धन के जरिये से राज्य के 66,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़क संचार की देखभाल भी करता है, जो खाद्यान्न खरीद में अहम भूमिका निभाता है।

निरंतर स्मरण पत्र भेजने के उपरांत भी राज्य सरकार ने कोई पहल नहीं की

प्रदेश सरकार द्वारा अधिनियम में संशोधन किया जाता है। हालांकि, बीते महीने पंजाब सरकार को भेजे गए एक पत्र में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने राज्य से वैधानिक शुल्क (आरडीएफ एवं अन्य संचय) को रोकने के लिए बोला था। बतादें, कि राज्य को इन शुल्कों का भुगतान करने की जांच पड़ताल की जा रही थी। केंद्र सरकार द्वारा निरंतर याद दिलाने के उपरांत भी मामलों में किसी भी प्रकार की कोई भी पहल नहीं की जा रही है।
भंडारण की समस्या से मिलेगी निजात, जल्द ही 12 राज्यों में बनेंगे आधुनिक स्टील गोदाम

भंडारण की समस्या से मिलेगी निजात, जल्द ही 12 राज्यों में बनेंगे आधुनिक स्टील गोदाम

जिस हिसाब से भारत में फसलों का उत्पादन होता है, उस हिसाब से भारत में भंडारण (Storage; silos; bhandaran) की अधोसंरचनाएं मौजूद नहीं हैं, जिसके कारण फसलों का समय पर भंडारण नहीं हो पाता और फसलें खेतों में पड़े-पड़े खराब हो जाती हैं। इसके साथ ही फसलों के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारी खर्चा होता है, जिसके कारण लागत बढ़ने के साथ ही किसानों का मुनाफा कम हो जाता है। सरकार इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रयास कर रही है। इसके तहत सरकार अब 12 राज्यों में 249 आधुनिक स्टील गोदामों का निर्माण करने जा रही है। इसकी जानकारी आज केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट के माध्यम से दी।

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249 आधुनिक स्टील गोदामों के निर्माण के लिए सरकार निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी करने जा रही है। इस निर्माण में करीब 9,236 करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) के सहयोग से जिन 249 आधुनिक स्टील के गोदामों का निर्माण किया जाना है, उनकी भंडारण क्षमता 111.125 लाख मीट्रिक टन के करीब होगी। इन आधुनिक स्टील गोदामों का निर्माण सरकार तीन चरणों में करवाएगी। इसके लिये भारतीय खाद्य निगम 'हब एंड स्पोक' मॉडल (Hub & Spoke model) पर काम कर रहा है, सभी आधुनिक स्टील गोदामों का निर्माण अगले 3-4 साल में कर लिया जाएगा। पहले चरण में सरकार ने 80 स्टील गोदामों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इन गोदामों में 34.875 लाख मीट्रिक टन अनाज का भंडारण हो सकेगा।

सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से वैज्ञानिक भंडारण है लक्ष्य

इन गोदामों के निर्माण के बाद सरकार का लक्ष्य है कि गोदामों में वैज्ञानिक तरीकों से अनाज का भंडारण किया जाए ताकि अनाज खराब न हो और ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखा रहे। इसके अलावा सरकार इन गोदामों में यह सुनिश्चित करेगी कि निर्माण के साथ-साथ इनके संचालन की जिम्मेदारी भी निजी कंपनियां उठायें। सरकार इन आधुनिक गोदामों में सभी प्रकार की मैनेजमेंट सुविधाएं उपलब्ध करवाने की कोशिश करेगी।

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इन राज्यों को मिलेगी स्टील गोदामों की सौगात

पहले चरण में जिन राज्यों में आधुनिक स्टील के गोदाम बनाये जाने हैं उनमें 9 राज्यों के साथ 1 केंद्र शासित प्रदेश को शामिल किया गया है। इनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर का नाम शामिल है। सरकार ने बताया है कि इन राज्यों में पहले चरण में 80 गोदाम बनाये जाएंगे, जिनमें लगभग 2,800 करोड़ रुपये का निवेश हासिल हो सकता है। इस योजना में राज्य सरकारें, नीति आयोग, वित्त मंत्रालय, रेल मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय भी अपना-अपना योगदान दे रहे हैं। सरकार ने बताया है कि स्टील के इन गोदामों का निर्माण खेतों के नजदीक ही किया जाएगा, ताकि ट्रांसपोर्टेशन में आने वाले किसानों के खर्चों को कम किया जा सके। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों के नजदीक होने पर किसानों को भंडारण में भी काफी सहूलियत मिलेगी।

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इन आधुनिक गोदामों में जमीन की भी बचत होती है। अगर हम भंडारण की बात करें तो पारंपरिक भंडारण की तुलना में स्टील गोदाम के भंडारण में मात्र एक तिहाई जमीन की ही जरुरत होती है। सरकार ने बताया है कि ये भंडारण केंद्र बाद में खरीद केंद्र के तौर भी काम करेंगे।